Monday, August 20, 2018

पूर्व प्रधानमंत्री स्वर्गीय अटल बिहारी वाजपेई जी की कविताएँ

जीवन बीत चला: अटल बिहारी वाजपेयी

चला चला कौन चला कब चला क्या चला - जीवन बीत चला |

कल, कल करते आज
हाथ से निकले सारे,
भूत भविष्यत् की चिंता में
वर्तमान की बाजी हारे,
पहरा कोई काम न आया
रसघट रीत चला।
जीवन बीत चला।

हानि-लाभ के पलड़ों में
तुलता जीवन व्यापार हो गया,
मोल लगा बिकने वाले का,
बिना बिका बेकार हो गया,

मुझे हाट में छोड़ अकेला
एक-एक कर मीत चला।
जीवन बीत चला।